आज हम जानेंगे कि राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए? (neet me kitne marks chahiye)
हर साल लाखों छात्र इस परीक्षा में बैठते है. हर किसी का सपना होता है हम भी परीक्षा में अच्छे नंबर से पास करें और परीक्षा उत्तरण करके अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले लेकिन क्या यह आपको पता है कि नीट में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए? और नीट का पेपर कितने नंबर का होता है? इस प्रकार के सवाल का जवाब अधिकतर छात्रों को नहीं पता होता है।
नीट परीक्षा का आयोजन एंटी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा किया जाता है।
नीट परीक्षा में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए 2023?

नेट की परीक्षा पास करने के लिए कोई निश्चित है मार्क्स नहीं है कि इतना मार्क्स लाने पर पास ही होंगे।
नीट एग्जाम पास होने के लिए कटऑफ बहुत महत्वपूर्ण होता है जो हर साल बढ़ता है और घटता रहता है।
नीट एग्जाम पास करने के लिए सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में एडमिशन मिलता है।
प्राइवेट कॉलेजों में कटऑफ के अनुसार एडमिशन लिया जाता है वह सरकारी कॉलेजों में भी है लेकिन सरकारी कॉलेज में प्रवेश का कटऑफ बहुत ज्यादा हो जाता है कि जबकि प्राइवेट कॉलेज में कम।
उसी मार्क्स के आधार पर प्राइवेट और सरकारी कॉलेज नीट उत्तरण छात्रों को एमबीबीएस बीडीएस में एडमिशन का मौका देते हैं।
neet में कितना मार्क्स चाहिए government college के लिए (neet me kitne marks chahiye government college ke liye)
भारत में कुल 272 सरकारी कॉलेज हैं जो नीट उत्तर इन छात्राओं को एमबीबीएस बीडीएस में प्रवेश प्राप्त कर आते हैं जिनमें से कुल 41388 सीट है।
इन सीटों पर छात्रों प्रवेश मिलता है लेकिन इन सीटों पर अलग-अलग वर्ग के छात्रों के लिए अलग-अलग कटऑफ पर होता है।
सामान्य वर्ग
जनरल कैटेगरी के छात्रों को 600+ अंक लाने पर ही प्रवेश मिल सकता है।
ओबीसी वर्ग
अगर उम्मीदवार ओबीसी वर्ग से आता है तो उसे सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए 575+ अंक प्राप्त करने होंगे ।
एससी वर्ग
इस वर्ग के लोगों को 480 + अंक प्राप्त करनी होती है। तभी एक सरकारी कॉलेज में प्रवेश मिल सकता है।
एसटी वर्ग
ईश्वर की उम्मीदवार को 475 +अंक प्राप्त होने पर ही सरकारी कॉलेज में प्रवेश मिल सकता है।
प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन के लिए नीट में पास होने के लिए कितने नंबर चाहिए?
यह भारत में कुल 260 प्राइवेट कॉलेज है जिनमें नीट उतीणॲ छात्रों को प्रवेश दिया जाता है जिनमें से कुल 35,530 सीट है।
वर्ग | मार्क्स (Marks) |
---|---|
सामान्य | 550 + मार्क्स |
ओबीसी वर्ग | 510+ अंक |
एससी वर्ग | 470+ अंक |
एसटी वर्ग | 450+ अंक |
neet ke liye 12th me kitne marks chahiye
NEET के लिए 12th में 50% मार्क्स चाहिए। हर वर्ग के छात्र के लिए neet परीक्षा के लिए 12th के मार्क्स अलग अलग होते हैं। सामान्य वर्ग के छात्र के neet के लिए 12th में 50% मार्क्स चाहिए।
NEET के लिए 12th में मार्क्स चाहिए
Category | 12th Marks for NEET |
General | 50% |
OBC | 40% |
SC/ST | 40% |
General PH | 45% |
नीट परीक्षा क्या है?
भारत में चिकित्सा-स्नातक के पाठ्यक्रमों (एमबीबीएस , बीडीएस आदि) में प्रवेश पाने के लिये एक अर्हक परीक्षा (qualifying entrance examination) होती है जिसका नाम राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) है।
भारतीय चिकित्सा परिषद (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) और भारतीय दंत परिषद (डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया) की मंजूरी से देश भर में चल रहे मेडिकल और डेंटल कॉलेजों (सरकारी या निजी) के एमबीबीएस व बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश इसी परीक्षा के परिणाम के आधार पर होता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (जेआईपीएमईआर, पुडुचेरी) के भी एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश इसी परीक्षा से होते हैं। यह परीक्षा पहली बार ५ मई २०१३ को हुई थी।
कालेज | सीटों की संख्या |
---|---|
All private colleges | 25,840 |
All government colleges | 27,590 |
NEET Counselling seats | 3,521 |
NEET Basis seats | 35,461 |
विदेशी चिकित्सा संस्थानों से एमबीबीएस करने के इच्छुक भारतीय छात्रों को अब नीट अर्हता (क्वालीफाई) अनिवार्य कर दी गयी है।
- NEET ki fees kitni hai ( NEET की फीस कितनी है?)
- डॉक्टर बनने के लिए कितना पैसा लगता है? | Doctor banne ke liye kitna paisa lagta hai
- डॉक्टर बनने के लिए कितने प्रतिशत चाहिए? | Doctor banne ke liye kitne percentage chahiye
NEET Exam क्वालिफिकेशन
NEET Exam क्वालिफिकेशन की बात करें तो इसके लिए 12वीं में कम से कम 50% अंकों से उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
उम्मीदवार की आयु 17-25 वर्ष से बीच होनी चाहिए। परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार का आधार कार्ड होना चाहिए।
अब यदि आप सोच रहे होंगे कि
NEET Kitne Saal Ka Hota Hai?
NEET सिर्फ एक एंट्रेंस एग्जाम होता है। यह परीक्षा साल में 1 बार मई माह में आयोजित की जाती है।
परीक्षा पास करने वाले स्टूडेंट्स को अच्छे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है और साथ ही जो स्टूडेंट्स इस परीक्षा को पास नहीं कर पाते है उन्हें दोबारा अगले साल परीक्षा देने का मौका दिया जाता है।
NEET Syllabus
Physics, Chemistry, Zoology और Botany प्रत्येक विषय में से 45 सवाल पूछे जाते हैं।
यह 45 सवाल 180 नंबर के होते है। इसका मतलब यह है कि चार विषयों में से पूछे गए प्रत्येक विषय के 45 सवालों का टोटल यह पेपर 720 नंबर का होता है।
Negative Marking
NEET परीक्षा में माइनस मार्किंग भी होती है। परीक्षा में ऑब्जेक्टिव प्रश्न पूछे जाते हैं इसका मतलब यह है कि प्रत्येक प्रश्न के साथ 4 विकल्प होते हैं।
यदि आप प्रश्न का सही उत्तर चुन लेते हैं तो आपको पूरे 4 अंक दिए जाते है वहीं यदि आपने गलत विकल्प चुन लिया तो आपको एक नंबर और कट जाएगा।
इसका मतलब एक सवाल का सही जवाब देने पर 4 अंक मिलते है और गलत जवाब देने पर आप उस प्रश्न के 4 नंबर और अन्य प्रश्न का 1 नंबर यानी टोटल 5 नंबर खो देंगे। ध्यान रखें कि यदि आपको इस सवाल का सही जवाब पता है तो ही आप उस प्रश्न का जवाब दें।
नीट (NEET) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें…
देश की नई सरकार ने भारत में चिकित्सा स्नातक के पाठ्यक्रमों-एमबीबीएस, बीडीएस में प्रवेश पाने के लिए एक अर्हक परीक्षा (क्वालीफाई एंट्रेस एग्जाम) परीक्षा पास करने वाले छात्रों को उनके अर्जित अंकों के आधार पर चाहे गए शिक्षा संस्थानों में प्रवेश का कानून बनाया है।
यह परीक्षा इसके पहले ‘एआईपीएमटी’ (ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट) कहलाती थी और इसकी परीक्षा देशभर में एक साथ होती थी और इसके परिणाम के आधार पर सभी केन्द्र सरकार द्वारा संचालित मेडिकल संस्थानों में छात्रों को प्रवेश दिया जाता था।
एआईपीएमटी अखिल भारतीय स्तर होती थी और राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए पीएमटी (प्री-मेडिकल टेस्ट) होती थी।
इन दोनों परीक्षाओं के आधार पर देश के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें भरी जाती थीं।
पूर्व में यह परीक्षा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा संचालित होती थी। लेकिन वर्ष 2016 की परीक्षाओं के लिए केन्द्र सरकार ने नीट (एनईईटी) परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया।
इस परीक्षा से निजी मेडिकल कॉलेजों को तकलीफ हुई और उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों यह फैसला सुनाया था कि 1 मई को नीट (NEET) का पहला चरण आयोजित किया जा चुका है।
परीक्षा का दूसरा चरण 24 जुलाई को होगा। केंद्र सरकार, राज्यों और विद्यार्थियों ने नीट को रोकने की मांग की थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से मना कर दिया था और कहा था कि इसे मात्र एक वर्ष के लिए टाला जा रहा है। अगले वर्ष से मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की परीक्षाएं नीट से ही होंगी।
इस परीक्षा को लेकर छात्रों का कहना था कि जिन परीक्षार्थियों की परीक्षा पहले हुई उन्हें तैयार करने के लिए कम समय मिला। पर जिन परीक्षार्थियों को दूसरे चरण में परीक्षा देनी होगी उन्हें परीक्षा की तैयारी के लिए अधिक समय मिलेगा, जबकि सभी छात्रों को समानता से मौका मिलना चाहिए था।
बहुत से छात्र ऐसे हैं जो कि नीट के अलावा राज्य की प्रवेश परीक्षा या अन्य परीक्षाओं के लिए तैयारी कर रहे हैं।
इस कारण से उन्हें नीट और कॉमन एडमिशन टेस्ट (सीईटी) की भी तैयारी करनी पड़ेगी और इन परीक्षाओं का पाठ्यक्रम भी अलग-अलग है। छात्रों की मुसीबतों को देखते हुए कई राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी।
इसके अलावा जिन राज्यों में नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए जाने हैं, उन्होंने भी इन्हें चलाने से अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। यह स्थिति हिमाचल प्रदेश की है।
अगले वर्ष से नीट शुरू हो जाने के कारण छात्रों की काफी समस्याएं सुलझ जाएंगी और इससे छात्रों का ही भला होगा।
छात्रों को अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग स्थानों पर परीक्षा नहीं देनी होगी, लेकिन फिलहाल ऐसे छात्र परेशान हैं जो कि उदाहरण के लिए, उप्र की पीएमटी की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन नीट के कारण उन्हें सीबीएसई का कोर्स भी पढ़ना होगा।
केंद्र और कई राज्य तर्क दे रहे हैं कि छात्रों को NEET के लिए समान समय मिलना चाहिए।
वे अलग अलग राज्यों के लिए स्थानीय भाषाओं में भी NEET की मांग कर रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को ठुकरा दिया है और राष्ट्रपति द्वारा नीट के अध्यादेश पर हस्ताक्षर भी किए जा चुके हैं।
इसलिए NEET परीक्षा का दूसरा चरण 24 जुलाई को होगा। फिलहाल इस व्यवस्था से छात्रों को तकलीफ हो सकती हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पहल पर नीट कानून बन जाने से प्राइवेट कॉलेजों की मनमानी रुकेगी और वहीं लाखों छात्रों का हित भी होगा।
केंद्र सरकार और तेलंगाना, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश ने एतराज जताया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर अपील की सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में बदलाव करे।
राज्यों और प्राइवेट कॉलेजों को इस साल के लिए MBBS और BDS की प्रवेश परीक्षा लेने की इजाजत दी जाए। सरकार ने अपील की थी कि एक मई को होने वाली परीक्षा रद्द करके सिर्फ 24 जुलाई को ही परीक्षा कराई जाए।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में किसी बदलाव से साफ मना कर दिया।
नीट के दोनों चरणों की परीक्षा के बाद रिजल्ट 17 अगस्त को आएगा। जिन छात्रों ने 1 मई को परीक्षा दी होगी, उसे कई महीनों तक नतीजे का इंतजार नहीं करना होगा।
हालांकि देश भर में तमाम मेडिकल छात्र और शिक्षक ये मान रहे हैं कि NEET ही बेहतर है। इससे छात्रों की तैयारी बेहतर होगी और उनका शोषण भी नहीं होगा। प्राइवेट कॉलेजों की मनमानी भी नहीं चलेगी।
अभी तक देश में मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए अलग-अलग 90 परीक्षाएं होती थीं। CBSE बोर्ड AIPMT के नाम से परीक्षा करवाया था। जबकि हर राज्य की अलग अलग मेडिकल प्रवेश परीक्षा होती थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर देश के 600 निजी मेडिकल कॉलेजों पर भी पड़ेगा जो कि पैसे लेकर मेडिकल सीटें बेचने के लिए कुख्यात रहे हैं, लेकिन नीट के प्रभावी होने से सभी किस्म के भेदभाव और सीटों की खरीद-फरोख्त से छुटकारा मिलेगा।
इस साल राज्य सरकारों को नेट से बाहर रखा गया है, लेकिन निजी कॉलेजों की सीटें नीट के जरिए ही भरी जाएंगी।
24 जुलाई को होने वाले नीट के दूसरे चरण की परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक ही होगी।
केवल इस साल के लिए छात्रों के पास यह अधिकार होगा कि या तो वे राज्य सरकार की ओर से आयोजित होने वाली परीक्षा में बैठने या नीट में।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि शैक्षणिक सत्र 2017-18 के लिए परास्नातक (पीजी) के लिए इस साल दिसंबर में होने वाली प्रवेश परीक्षा नीट ही होगी।
सरकार ने इस अध्यादेश पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश प्रभावी हो गया है जिसमें देश के सभी सरकारी, डीम्ड यूनिवर्सिटी और निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एक समान प्रवेश परीक्षा नीट को अनिवार्य कर दिया गया है।