आज इस आर्टिकल में हम लिंग के कितने भेद होते हैं? (Ling ke kitne bhed hote Hain), लिंग कितने प्रकार के होते हैं? (Ling kitne prakar ke hote hain?), लिंग किसे कहते हैं? इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
किसी भी भाषा का आधार उसका व्याकरण हीं होता है। इसी प्रकार हिंदी में भी हिंदी व्याकरण प्रमुख है सही प्रकार से हिंदी के गहन अध्ययन के लिए हिंदी व्याकरण अनिवार्य है। व्याकरण के अंतर्गत हिंदी बोलने तथा लिखने के लिए जो महत्वपूर्ण नियम है उनका अध्ययन किया जाता है। हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण पाठ लिंग है।
आज इस लेख में हम मुख्य रूप से लिंग के बारे में जानेंगे। लिंग क्या है?, लिंग कितने प्रकार के होते हैं? यानी लिंग के कितने भेद हैं? इत्यादि। इन सभी को एक-एक करके उदाहरण सहित समझने का प्रयास करेंगे –
लिंग क्या है?
आसान शब्दों में कहा जाए तो जिससे पता चले की संज्ञा पुरुष है या स्त्री उसे ही लिंग कहा जाता है। जिस संज्ञा शब्द से व्यक्ति की जाति (स्त्री जाति या पुरुष जाति) का पता चले उसे लिंग कहा जाता है।हिंदी के व्याकरण के अनुसार लिंग से मतलब ऐसे प्रावधान से है जिसमें किसी वाक्य में कर्ता (यानी वाक्य में जो कुछ कार्य कर रहा हो) का रूप स्त्री, पुरुष, नपुंसक या निर्जीव होने पर बदल जाता हो।
पूरे विश्व भर में जितने भी प्रकार की भाषाएं लोगों द्वारा बोली जाती है उन सभी भाषाओं में से लगभग एक चौथाई भाषाओं में किसी न किसी प्रकार की लिंग व्यवस्था है, यानी स्त्री पुरुष इत्यादि का पता चलता है। फारसी ऐसी भाषाओं में आता है जिसमें लिंग नहीं होता।
इसके अलावा अंग्रेजी जो पूरे विश्व में बोली जाने वाली भाषा है, इसमें भी लिंग सिर्फ सर्वनाम में ही होता है। अंग्रेजी में मेल फीमेल का पता सर्वनाम के he, she, his, her इत्यादि से चलता है।उदाहरण के लिए
- वह कूदता है।
- वह कूदती है।
ऊपर दिए गए दोनों उदाहरणों में से कुदता और कूदती लिखे होने पर जाति का पता चल रहा है। कूदता पुरुष के लिए लिखा जाता है जबकि कूदती स्त्री के लिए।
लिंग के कितने भेद होते हैं? (Ling ke kitne bhed hote hain?)
यदि बात की जाए लिंग के भेदों की तो हिंदी व्याकरण के अनुसार लिंग के दो भेद होते हैं वहीं संस्कृत में हिंदी के 2 भेदों के साथ-साथ एक तीसरा भेद भी जुड़ता है। हिंदी व्याकरण में लिंग के दो भेद स्त्रीलिंग तथा पुल्लिंग है। वही संस्कृत में स्त्रीलिंग तथा पुल्लिंग के साथ नपुंसक लिंग भी जुड़ जाता है।
संसार के 3 जातियों पुरुष स्त्री तथा जड़ के आधार पर लिंग के तीन भेद होते हैं जोकि निम्नलिखित हैं –
- पुल्लिंग
- स्त्रीलिंग
- नपुंसक लिंग
1. पुल्लिंग – सीधे-सीधे शब्दों में, जिस संज्ञा के शब्दों से पुरुष जाति का पता चलता हो उसे पुल्लिंग कहा जाता है। आदमी, राम, शेर, पिता, बकरा, लड़का, फूल, बैल, भाई, हंस, बंदर, मुर्गा, घोड़ा, कुत्ता, राजा, शिव, हनुमान इत्यादि समेत अनेकों शब्द पुलिंग होते हैं।
लिंग की पहचान में जिन शब्दों के अंत में त, त्व, आ, आव, पन, इत्यादि प्रत्यय के तौर पर लगे होते हैं वे पुलिंग होते हैं। उदाहरण में मन, तन, बचपन, सतीत्व, देवत्व इत्यादि।
सप्ताह के दिन के सभी नाम पुल्लिंग होते हैं। सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार सभी पुल्लिंग है। इसके साथ ही पर्वतों के नाम जैसे हिमालय, एवरेस्ट, कंचनजंगा, हिमाचल, कैलाश, माउंट एवरेस्ट, विद्यांचल, सतपुडा, मलयाचल इत्यादि भी पुल्लिंग ही है। सोना, चांदी, पीतल, तांबा, पारा इत्यादि जैसी धातुओं के नाम भी पुल्लिंग होते हैं। देशों के नाम को भी पुल्लिंग माना जाता है, भारत, अमेरिका, जापान, रूस, ईरान, पाकिस्तान, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश इत्यादि पुल्लिंग ही है।
इसके अलावा महीनों के नाम जैसे सितंबर, अक्टूबर, आषाढ़, कार्तिक, फाल्गुन इत्यादि भी पुल्लिंग होते हैं। पानी तेल पेट्रोल शरबत दूध दही घी जैसे द्रवों के नाम भी पुल्लिंग हैं। इनके अलावा और भी बहुत सारे समय सागर अनाज वर्णमाला पेड़ फूल इत्यादि के नाम पुल्लिंग होते हैं।
2. स्त्रीलिंग – सीधे-सीधे, जिस संज्ञा के शब्दों से स्त्री जाति का पता चलता हो वह स्त्रीलिंग है। पुल्लिंग के विपरीत लड़की, औरत, बंदरिया, कुर्सी, गाय, लोमड़ी, शेरनी, बहन, लज्जा, रानी, सुई, गंगा, यमुना, दुआ लक्ष्मी, बनावट, हंसिनी इत्यादि समेत और अनेकों शब्द स्त्रीलिंग होती है।
पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग बनाने के लिए प्रत्यय को बदला जाता है, जैसे बड़ा का बड़ी हो जाता है, चोर का चोरनी, मोर का मोरनी, ठाकुर का ठकुराइन, बेटा का बेटी इत्यादि। स्त्रीलिंग शब्दों के पीछे सामान्य तौर पर ख, ट , वट, हट इत्यादि लगा रहता है। उदाहरण में बनावट सजावट बुद्धिमता झंझट प्यास कड़वाहट इत्यादि।
वह शब्द जो पढने में पुल्लिंग के भांति प्रतीत होते हैं, लेकिन स्त्रीलिंग शब्द होते हैं ऐसे शब्द स्त्रीलिंग अपवाद कहलाते हैं। स्त्रीलिंग के अपवाद के उदाहरन हैं – जनवरी, मई, पृथ्वी, मुंग, ज्वार, मिठास, खटास, लस्सी, चटनी, सभा, तिथि, संतान इत्यादि।
आहारों के नाम हमेशा स्त्रीलिंग में होते हैं। जैसे :- पकौड़ी, रोटी, दाल, कचौड़ी, सब्जी। इसके साथ ही तारीखों और तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- अमावस्या, पूर्णिमा, प्रथमा, प्रतिपदा, पृथ्वी, एकादशी इत्यादि।कर्क, कुंभ, मीन, तुला, सिंह, मेष इत्यादि जैसी राशियों के नाम भी स्त्रीलिंग होते हैं।तोढ़ी, जीभ, पलक, आँख, नाक इत्यादि भी स्त्रीलिंग है।
3. नपुंसक लिंग – इसमें ऐसे पदार्थों का जिक्र होता है जो न तो पुल्लिंग हो और न स्त्री लिंग। इसमें ऐसे पदार्थों का समावेश होता है जो ना तो पुल्लिंग है ना ही स्त्रीलिंग। आननफानन,अवधी, नाम इत्यादि जैसे कई शब्द नपुंसक लिंग होते हैं।
स्त्रीलिंग, पुल्लिंग एवं नपुंसक लिंग के अलावा उभयलिंग को भी कई बार लिंग के एक भेद के रूप में पढ़ा जाता है परंतु हिंदी व्याकरण में इसे लिंग के भेद के रूप में स्थान प्राप्त नहीं है।
ऐसी संज्ञाओं को उभयलिंग कहा जाता है जो स्त्रीलिंग तथा पुलिंग दोनों ही हो सकते हैं। डॉक्टर, इंजीनियर शिक्षक, खिलाड़ी, इत्यादि समेत इन जैसे अन्य शब्दों को उभयलिंग कहा जाता है, क्योंकि डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक इत्यादि स्त्री या पुरुष कोई भी हो सकता है। इन्हें स्त्रीलिंग की तरह भी लिखा जा सकता है या पुल्लिंग की तरह भी।
Conclusion
आज इस आर्टिकल में हमने व्याकरण के बहुत ही महत्वपूर्ण विषय लिंग के बारे में जाना इस आर्टिकल में हमने लिंग के कितने भेद होते हैं? (Lingke kitne bhed hote hain?), लिंग कितने प्रकार के होते हैं? (Ling kitne prakar ke hote hain?) लिंग क्या है? इस आर्टिकल में हम लिंग के कितने भेद होते हैं? और लिंग कितने प्रकार के होते हैं? इसके बारे में इस आर्टिकल में आपको उदाहरण के साथ विस्तार से बताएं। अगर इस आर्टिकल को पढ़कर आपको लिंग कितने प्रकार के होते हैं और लिंग के कितने भेद होते हैं इसके बारे में सारी जानकारी मिली है तो हमारा आर्टिकल को शेयर जरुर करें और हमारे आर्टिकल के संबंधित कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं।