संसाधन किसे कहते हैं? | Sansadhan kise kahte hain?

आज के इस आर्टिकल में पर्यावरण से संबंधित संसाधन के बारे में बताने जा रही हूं आप लोगों ने अक्सर किताबों में या समाचार पत्रों में संसाधन का नाम जरूर सुना होगा तो आज मैं संसाधन के बारे में आपको विस्तार पूर्वक बताऊंगी ताकि आप कोई अच्छी तरह से समझ में आ सके कि संसाधन किसे कहते हैं? संसाधन का english में क्या मतलब है? (Sansadhan meaning in english), संसाधन किस तरह इस्तेमाल करना चाहिए? संसाधन कितने प्रकार के होते हैं? इन सभी संबंध के बारे में इस आर्टिकल में मैं आपको बताने जा रही हूं।

संसाधन किसे कहते हैं? (Sansdhan kise kahte hain?)

हम लोगों की आवश्यकता की पूर्ति जिस चीज से होती है ,उसे आसान भाषा में संसाधन कहते हैं। हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति अथवा हमारी किसी कठिनाई का निवारण करने वाले स्रोत को संसाधन कहते हैं। 

दूसरे शब्दों में कहें तो कोई वस्तु तभी संसाधन कहलाता है, जब उससे मनुष्य किसी आवश्यकता की पूर्ति करते हो। जैसे की जल संसाधन है ,क्योंकि इससे मनुष्य व अन्य जीवो की प्यास बुझती है, खेतों में फसलों की सिंचाई होती है, और अक्सर हम लोग घर साफ करते हैं ,भोजन बनाते हैं और इत्यादि आवश्यकताओं की पूर्ति जल द्वारा होती है। 

वस्तु या संसाधन जो कि मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है अथवा ऐसे पदार्थ जो कि मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होते हैं उन्हें हम संसाधन कहते हैं। आज संसाधन की उपलब्धता हमारी प्रकृति का सूचक बन गया है, इसीलिए संसाधनों का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है।

संसाधन meaning in english (Sansadhan meaning in english)

संसाधन को अंग्रेजी भाषा में हम Resources कहते हैं। अगर अंग्रेजी में इसकी परिभाषा कहे तो

” A resource is a source of supply from which a benefit is produced and that has some utility”. It means a resource is something that can be used for a purpose. For example: material are resource. There are many kinds of resource some are natural or some are human wealth that can be used for satisfying human needs.

संसाधन का इस्तेमाल कैसे करें?

संसाधन एक ऐसा स्रोत है जिसका इस्तेमाल मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए करता है। कोई वस्तु प्रकृति में हो सकता है, हमेशा से वह मौजूद भी रह सकती है लेकिन वह संसाधन नहीं कहलाती है। जब तक कि मनुष्य उस वस्तु पर हस्तक्षेप ना करें। हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर एक वस्तु संसाधन कहलाती है, जिसका इस्तेमाल हम अपने आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कर सकते हैं ,जिसे बनाने के लिए हमारे पास तकनीक है जिसका इस्तेमाल हम करते हैं। प्रकृति का कोई भी तत्व तभी संसाधन बनता है, जब वह मानवीय सेवा करता है। मानवी सेवा कहने का तात्पर्य है कि मानव उसे अपने सेवा के योग बनाता है या अपनी कुशलता से उसे संसाधन बनाता है जिसे ओर लोग इस्तेमाल कर सकें।

संसाधन को दो वर्गों में बांटा जा सकता है:

1. नवीकरणीय योग्य(Renewable)

2. अनवीकरणीय योग्य (Non-renewable)

नवीकरणीय संसाधन वैसे संसाधन को कहते हैं जिससे बार-बार इस्तेमाल करने से वह खत्म नहीं होते हैं इसका तात्पर्य यह है कि यह संसाधन का खत्म नहीं होता है, आर्य संसाधन हर दिन उत्पन्न होता है। जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा इत्यादि। नवीकरणीय संसाधन सीमित मात्रा में प्रकृति में पाए जाते हैं।

किंतु अनवीकरणीय संसाधन ऐसे संसाधन को कहते हैं जिसका उपयोग बार-बार करने से वह खत्म हो सकती है अथवा उपयोग के बाद उसे निर्माण नहीं किया जा सकता है या उनके विकास अथवा उसे बनने में लाखों करोड़ों वर्ष भी लग सकते हैं। जैसे -कोयला ,पेट्रोल इत्यादि। जबकि अनवीकरणीय संसाधन सीमित मात्रा में पृथ्वी में पाए जाते हैं इसलिए इनका इस्तेमाल हमें सोच समझ कर करना चाहिए और अभी हम और  अनवीकरणीय संसाधनों का इस्तेमाल अत्यधिक कर रहे हैं

हमें भी पता है कि बिना संसाधन के हमारा जीवन संभव नहीं है, अगर संसाधन नहीं है तो विकास भी असंभव है। संसाधन ही एक ऐसा तत्व है जो हमें उपभोग करने के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं से मुक्त करता है। अगर संसाधन का हम बचाव नहीं करेंगे तो हमें सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अतः संसाधन का संरक्षण अति आवश्यक है, संसाधन के संरक्षण के लिए विभिन्न चिंता तथा वैज्ञानिक आदि का प्रयास विभिन्न स्तरों पर होता रहा है।

जैसे कि महात्मा गांधी के शब्दों में “हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति के लिए बहुत कुछ है लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं”। इसका तात्पर्य यह है कि हमारे पास पेट भरने के लिए बहुत कुछ है लेकिन पेटी भरने के लिए नही। महात्मा गांधी के अनुसार विश्व स्तर पर संसाधन दुरुपयोग के लिए लालची और स्वार्थी व्यक्ति के साथ ही आधुनिक तकनीकी की रचनात्मक प्रवृत्ति जिम्मेदार हैं।

अतः आसान एवं सरल भाषा में कहें तो संसाधन का संरक्षण हमें अपने जीवन यापन को सरल तथा आरामदायक बनाने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है तथा अगर हम संसाधन का संरक्षण करेंगे तभी भावी पीढ़ी इन संसाधनों को देख पाएगी ,अगर हम संसाधन का दुरुपयोग करते रहेंगे तो संसाधन का भी दुरुपयोग होगा तथा भावी पीढ़ी इसे देख तक नहीं पाएगी।

Conclusions

आज इस आर्टिकल में हमने संसाधन किसे कहते हैं? संसाधन कितने प्रकार के होते हैं? संसाधन का इस्तेमाल कैसे करें? और संसाधन का संरक्षण क्यों क्यों जरूरी है? इन सब के बारे में जानना है। इस आर्टिकल में मैंने आपको संसाधनका अंग्रेजी में मतलब क्या है?(Sansadhan meaning in English), संसाधन क्या होता है? इन सब के बारे में विस्तार से बताया है। यह आर्टिकल हम सभी लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी लोग संसाधन का उपयोग करते हैं और संसाधन हमारे जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है।

इसीलिए हमें इसका इस्तेमाल भी बहुत सही ढंग से करना चाहिए आज इस आर्टिकल में हमने संसाधन का इस्तेमाल सही ढंग से कैसे करें संसाधन को हम संरक्षण क्यों दें इन सब के बारे में पढ़ा है मुझे उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़कर आपको संसाधन क्या होता है और संसाधन कितने प्रकार के होते हैं इसके बारे में सारी जानकारी मिली होगी। अगर हमारा आर्टिकल पढ़कर आपको अच्छा लगा तो हमारे आर्टिकल को शेयर जरूर करें और हमारे आर्टिकल के संबंधित कोई राय देना चाहते तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Website बनाकर पैसे कैसे कमाए?

    wpChatIcon